इतनी शिद्दत से चाहते हो क्या
मुझ को ही रब से माँगते हो क्या
मैं नहीं तिनका जो बिखर जाऊँ
मेरे बारे में जानते हो क्या
दिल में जो था किया बयाँ मैं ने
तुम बताओ कि चाहते हो क्या
पास आ कर ज़रा मिरे बैठो
दूर से मुझ को देखते हो क्या
तेरे दिल में छुपी मिलूँगी मैं
हर जगह मुझ को ढूँढते हो क्या
दिल जिगर जान सब फ़िदा तुम पे
और बोलो कि चाहते हो क्या
ग़ज़ल
इतनी शिद्दत से चाहते हो क्या
ज्योती आज़ाद खतरी