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इतना मुझे ख़ुदा मिरे मशहूर तू न कर | शाही शायरी
itna mujhe KHuda mere mashhur tu na kar

ग़ज़ल

इतना मुझे ख़ुदा मिरे मशहूर तू न कर

तरुणा मिश्रा

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इतना मुझे ख़ुदा मिरे मशहूर तू न कर
हो जाऊँ कामयाब तो मग़रूर तू न कर

मैं तुझ से दूरियों की अगर अर्ज़ियाँ भी दूँ
तुझ को क़सम ये है उन्हें मंज़ूर तू न कर

इतनी ज़िया न दे कि बसारत ही छीन ले
ऐसे नशे में मुझ को कभी चूर तू न कर

ऐसा न हो कि तुझ को कभी भूल जाऊँ मैं
पर्वरदिगार इतना भी मजबूर तू न कर

तालिब रहूँ मैं इल्म की ता-ज़िंदगी यहाँ
दिल से इसी लगाव को काफ़ूर तू न कर

'तरुणा' का सर तो तेरे ही दर पर झुका रहे
अपनी इनायतों से कभी दूर तू न कर