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इसी ख़ातिर तो उस की आरती हम ने उतारी है | शाही शायरी
isi KHatir to uski aarti humne utari hai

ग़ज़ल

इसी ख़ातिर तो उस की आरती हम ने उतारी है

मयंक अवस्थी

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इसी ख़ातिर तो उस की आरती हम ने उतारी है
ग़ज़ल भी माँ है और उस की भी शेरों की सवारी है

मोहब्बत धर्म है हम शाइरों का दिल पुजारी है
अभी फ़िरक़ा-परस्तों पे हमारी नस्ल भारी है

सितारे चाँद सूरज फूल जुगनू साथ हैं हर-दम
कोई सरहद नहीं ऐसी अजब दुनिया हमारी है

वो दिल के दर्द की ख़ुशबू का आलम है कि मत पूछो
तुम्हारी याद में ये उम्र जन्नत में गुज़ारी है

ये दुनिया क्या सुधारेगी हमें हम तो हैं दीवाने
हमीं लोगों ने अब तक अक़्ल दुनिया की सुधारी है