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इसी बिखरे हुए लहजे पे गुज़ारे जाओ | शाही शायरी
isi bikhre hue lahje pe guzare jao

ग़ज़ल

इसी बिखरे हुए लहजे पे गुज़ारे जाओ

रउफ़ रज़ा

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इसी बिखरे हुए लहजे पे गुज़ारे जाओ
वर्ना मुमकिन है कि चुप रहने से मारे जाओ

डूबना है तो छलकती हुई आँखें ढूँढो
या किसी डूबते दरिया के किनारे जाओ

वो ये कहते हैं सदा हो तो तुम्हारे जैसी
इस का मतलब तो यही है कि पुकारे जाओ

तुम ही कहते थे 'रज़ा' फ़र्क़-ए-दुई ख़त्म करो
जाओ अब अपनी ही तस्वीर निहारे जाओ