EN اردو
इश्क़ था और अक़ीदत से मिला करते थे | शाही शायरी
ishq tha aur aqidat se mila karte the

ग़ज़ल

इश्क़ था और अक़ीदत से मिला करते थे

रम्ज़ी असीम

;

इश्क़ था और अक़ीदत से मिला करते थे
पहले हम लोग मोहब्बत से मिला करते थे

रोज़ ही साए बुलाते थे हमें अपनी तरफ़
रोज़ हम धूप की शिद्दत से मिला करते थे

सिर्फ़ रस्ता ही नहीं देख के ख़ुश होता था
दर-ओ-दीवार भी हसरत से मिला करते थे

अब तो मिलने के लिए वक़्त नहीं मिलता है
वर्ना हम कितनी सुहुलत से मिला करते थे