इश्क़ पर दाना नहीं मोहताज-ए-तहरीक-ए-जमाल 
जलने वाला जल बुझेगा शम-ए-सोज़ाँ देख कर 
ऐ मआज़-अल्लाह वहशी और सलामत पैरहन 
शर्म दामन-गीर होती है गरेबाँ देख कर
 
        ग़ज़ल
इश्क़ पर दाना नहीं मोहताज-ए-तहरीक-ए-जमाल
अनवरी जहाँ बेगम हिजाब
 
        ग़ज़ल
अनवरी जहाँ बेगम हिजाब
इश्क़ पर दाना नहीं मोहताज-ए-तहरीक-ए-जमाल 
जलने वाला जल बुझेगा शम-ए-सोज़ाँ देख कर 
ऐ मआज़-अल्लाह वहशी और सलामत पैरहन 
शर्म दामन-गीर होती है गरेबाँ देख कर