EN اردو
इश्क़ में आबरू ख़राब हुई | शाही शायरी
ishq mein aabru KHarab hui

ग़ज़ल

इश्क़ में आबरू ख़राब हुई

द्वारका दास शोला

;

इश्क़ में आबरू ख़राब हुई
ज़िंदगी सर-ब-सर अज़ाब हुई

मेरे महबूब तेरी ख़ामोशी
मेरी हर बात का जवाब हुई

थी न आसूदगी मुक़द्दर में
मेहरबानी तो बे-हिसाब हुई