इश्क़ क्या शय है दोस्त क्या कहिए
ख़ूबसूरत सी इक ख़ता कहिए
सब के अपने मुआ'मले हैं जनाब
किस को अच्छा किसे बुरा कहिए
नूर उस का ज़ुहूर उस का है
देखिए और मर्हबा कहिए
सारी दुनिया लगा चुकी तोहमत
आप भी मुझ को बेवफ़ा कहिए
हर मरज़ का इलाज मुमकिन है
दर्द-ए-दिल की है क्या दवा कहिए
नाम जब लिख दी ज़िंदगी मेरे
किस लिए फिर है फ़ासला कहिए
जिस ने लूटा है चैन 'गौहर' का
नाम क्या लूँ बस आश्ना कहिए
ग़ज़ल
इश्क़ क्या शय है दोस्त क्या कहिए
तनवीर गौहर