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इश्क़ की दीवानगी मिट जाएगी | शाही शायरी
ishq ki diwangi miT jaegi

ग़ज़ल

इश्क़ की दीवानगी मिट जाएगी

ज़ीशान साहिल

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इश्क़ की दीवानगी मिट जाएगी
या किसी की ज़िंदगी मिट जाएगी

ख़त्म हो जाएगा जब क़िस्सा हुज़ूर
आप की हैरानगी मिट जाएगी

आप भी रोएँगे शायद ज़ार-ज़ार
फूल जैसी ये हँसी मिट जाएगी

एक दिन बुझ जाएँगे ये महर ओ माह
या नज़र की रौशनी मिट जाएगी

या फ़ना हो जाएँगी गलियाँ तिरी
या मिरी आवाज़ ही मिट जाएगी

हुस्न भी बर्बाद हो जाएगा दोस्त
और दिल की दिल-कशी मिट जाएगी

इस क़दर आबाद हो जाएँगे लोग
हसरत-ए-तामीर ही मिट जाएगी