इश्क़ की अल्लाह री दुश्वारियाँ
इक जुनूँ और लाख ज़िम्मेदारियाँ
एहतिमाम-ए-ज़िंदगी-ए-इश्क़ देख
रोज़ मर जाने की हैं तय्यारियाँ
इश्क़ का ग़म वो भी तेरे इश्क़ का
कौन कर सकता मिरी ग़म-ख़्वारियाँ
बे-खु़दी-ए-इश्क़ जैसे ग़म की नींद
ग़म की नींदें रूह की बेदारियाँ
इक जुनून-ए-इश्क़ पर क़ुर्बान हैं
हिक्मत-ओ-इरफाँ की सौ हुश्यारियाँ
इश्क़ भी है किस क़दर बर-ख़ुद ग़लत
उन की बज़्म-ए-नाज़ और ख़ुद्दारियाँ
छूट कर रह जाएँ नब्ज़ें इश्क़ की
सहल हो जाएँ अगर दुश्वारियाँ
ये नियाज़-ए-आरज़ूमंदी न देख
और कुछ हैं इश्क़ की ख़ुद्दारियाँ
इक निगाह बे-नियाज़-ए-इश्क़ तक
हुस्न की हैं सब ग़लत-पिंदारियाँ
ऐ जवानी ऐ मोहब्बत मर्हबा
फिर न ये नींदें न ये बेदारियाँ
इख़्तिलाज-ए-क़ल्ब के दौरे नहीं
इश्क़ की 'बिस्मिल' हैं दिल-आज़ारियाँ
ग़ज़ल
इश्क़ की अल्लाह री दुश्वारियाँ
बिस्मिल सईदी