इश्क़ ख़ुद माइल-ए-हिजाब है आज
हुस्न मजबूर-ए-इज़्तिराब है आज
मय-कदा ग़म-कदा है तेरे बग़ैर
सर-निगूँ शीशा-ए-शराब है आज
मुतग़य्यर है आलम-ए-जज़्बात
कौन इस दिल में बारयाब है आज
ज़िंदगी जिस में साँस लेती थी
वो ज़माना ख़याल-ओ-ख़्वाब है आज
मिट गए दिल के वलवले 'सीमाब'
ख़त्म अफ़साना-ए-शबाब है आज
ग़ज़ल
इश्क़ ख़ुद माइल-ए-हिजाब है आज
सीमाब अकबराबादी