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इश्क़ के रस्ते चलते चलते हम ऐसे मजबूर हुए | शाही शायरी
ishq ke raste chalte chalte hum aise majbur hue

ग़ज़ल

इश्क़ के रस्ते चलते चलते हम ऐसे मजबूर हुए

देवमणि पांडेय

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इश्क़ के रस्ते चलते चलते हम ऐसे मजबूर हुए
एक ज़रा सी ठेस लगी तो दल के शीशे चूर हुए

प्यार में लाखों दिल टूटे और बने हज़ारों अफ़्साने
जिन में दिल का दर्द था शामिल वो क़िस्से मशहूर हुए

सच्चे लोगों को ये दुनिया जीने ही कब देती है
उन से पूछो जो ये जीवन जीने पर मजबूर हुए

इस दुनिया में कुछ पाने का मूल चुकाना पड़ता है
मिली है शोहरत जिन को ज़ियादा वो अपनों से दूर हुए

अपना उजाला बाँट के सब को ख़ुद में ही खो जाते हैं
ऐसे लोग मगर ऐ दुनिया तुझ को कब मंज़ूर हुए