इश्क़ के आसार हैं फिर ग़श मुझे आया देखो
फिर कोई रौज़न-ए-दीवार से झाँका देखो
उन के मिलने की तमन्ना में मिटा जाता हूँ
नई दुनिया है मिरे शौक़ की दुनिया देखो
तूर पर ही नहीं नज़्ज़ारा-ए-जानाँ मौक़ूफ़
देखना हो तो वो मौजूद है हर जा देखो
असर-ए-नाला-ए-आशिक़ नहीं देखा तुम ने
थाम लो दिल को सँभल बैठो अब अच्छा देखो
तौर मजनूँ की निगाहों के बताते हैं हमें
इसी लैला में है इक दूसरी लैला देखो
परतव-ए-महर से मामूर है ज़र्रा ज़र्रा
लहरें लेता है हर इक क़तरे में दरिया देखो
दूर हो जाएँ जो आँखों से हिजाबात-ए-दुई
फिर तो दिल ही में दो-आलम का तमाशा देखो
सब में ढूँडा उन्हें और की तो न की दिल में तलाश
नज़र-ए-शौक़ कहाँ खाई है धोका देखो
नहीं थमते नहीं थमते मिरे आँसू 'बेदम'
राज़-ए-दिल उन पे हुआ जाता है इफ़शा देखो
ग़ज़ल
इश्क़ के आसार हैं फिर ग़श मुझे आया देखो
बेदम शाह वारसी