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इश्क़ है इश्क़-ए-पाक-बाज़ी का | शाही शायरी
ishq hai ishq-e-pak-bazi ka

ग़ज़ल

इश्क़ है इश्क़-ए-पाक-बाज़ी का

अब्दुल वहाब यकरू

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इश्क़ है इश्क़-ए-पाक-बाज़ी का
गो कि हो आलम-ए-मजाज़ी का

इश्क़ का तिफ़्ल गिर ज़मीं ऊपर
खेल सीखा है ख़ाक-बाज़ी का

दिल को मिज़्गाँ नें ले के पंजे में
काम कीता है शाहबाज़ी का

कीमिया सीम-तन सीं मिलता है
यही है फ़न्न सीम-साज़ी का

फ़ज़्ल-ए-अहमद सीं शेर 'यकरू' का
राह है पर्दा-ए-हिजाज़ी का