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इस से पहले कि कुछ बोला जाए | शाही शायरी
is se pahle ki kuchh bola jae

ग़ज़ल

इस से पहले कि कुछ बोला जाए

अम्बर जोशी

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इस से पहले कि कुछ बोला जाए
बात को ज़ेहन में तोला जाए

राज़ फिर राज़ नहीं रहता है
राज़-ए-दिल सब से न खोला जाए

ऐब कितने ही दिखेंगे हम को
अपने मन को जो टटोला जाए

मन की परवाज़ बहुत है ऊँची
दूर तक मन का हिण्डोला जाए

रिश्ते बनते हैं मधुर तब 'अंबर'
प्यार का रंग जो घोला जाए