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इस की क़ुदरत की दीद करता हूँ | शाही शायरी
isko qudrat ki did karta hun

ग़ज़ल

इस की क़ुदरत की दीद करता हूँ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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इस की क़ुदरत की दीद करता हूँ
रोज़ नौ-रोज़ ईद करता हूँ

मेरा अहवाल-ए-फ़क़्र मत पूछो
ज़ोहद मिस्ल-ए-फ़रीद करता हूँ

रोज़ बाज़ार-ए-मुल्क-ए-हस्ती में
जिंस-ए-इस्याँ ख़रीद करता हूँ

फ़त्ह करने को क़ल्ब-ए-दिल का हिसार
तेग़-ए-हिम्मत कलीद करता हूँ

बस-कि मैं तिश्ना-ए-शहादत हूँ
दिल को हर-दम शहीद करता हूँ

न मैं सुन्नी न शीआ ने काफ़िर
सूफ़ी हूँ सब का वीद करता हूँ

शैख़ तू गो कि पीर-ज़ादा है
रह तुझे मैं मुरीद करता हूँ

अपने एहसान-ए-ख़ल्क़ से 'हातिम'
आदमी को अबीद करता हूँ