इस बज़्म में न होश रहेगा ज़रा मुझे
ऐ शौक़-ए-हरज़ा-ताज़ कहाँ ले चला मुझे
ये दर्द-ए-दिल ही ज़ीस्त का बाइस है चारा-गर
मर जाऊँगा जो आई मुआफ़िक़ दवा मुझे
इस ज़ौक़-ए-इब्तिला का मज़ा उस के दम से है
सब कुछ मिला मिला हो दिल-ए-मुब्तला मुझे
दैर-ओ-हरम को देख लिया ख़ाक भी नहीं
बस ऐ तलाश-ए-यार न दर दर फिरा मुझे
ये दिल से दूर हो न दिखाए ख़ुदा वो दिन
ज़ालिम तिरा ख़याल है दिल से सिवा मुझे
रंज-ओ-मलाल ओ हसरत-ओ-अरमान-ओ-आरज़ू
जाने से एक दिल के बहुत कुछ मिला मुझे
मैं जानता हूँ आप हैं मस्त अपने हाल में
'बेख़ुद' नहीं है आप से मुतलक़ गिला मुझे
ग़ज़ल
इस बज़्म में न होश रहेगा ज़रा मुझे
बेखुद बदायुनी