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इस आरज़ी दुनिया में हर बात अधूरी है | शाही शायरी
is aarzi duniya mein har baat adhuri hai

ग़ज़ल

इस आरज़ी दुनिया में हर बात अधूरी है

अंबरीन हसीब अंबर

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इस आरज़ी दुनिया में हर बात अधूरी है
हर जीत है ला-हासिल हर मात अधूरी है

कुछ देर की रिम-झिम को मा'लूम नहीं शायद
जल-थल न हो आँगन तो बरसात अधूरी है

क्या ख़ूब तमाशा है ये कार-गह-ए-हस्ती
हर जिस्म सलामत है हर ज़ात अधूरी है

महरूम-ए-तमाज़त दिन शब में भी नहीं ख़ुनकी
ये कैसा तअ'ल्लुक़ है हर बात अधूरी है