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इन सराबों से गुज़रने दे मुझे | शाही शायरी
in sarabon se guzarne de mujhe

ग़ज़ल

इन सराबों से गुज़रने दे मुझे

अमीर क़ज़लबाश

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इन सराबों से गुज़रने दे मुझे
उँगलियाँ रेत में भरने दे मुझे

जिस नदी पार न उतरा कोई
उस नदी पार उतरने दे मुझे

कोई सय्याह मुझे ढूँढेगा
इक जज़ीरा हूँ उभरने दे मुझे

यूँ न बे-ज़ार हो इतना ख़ुद से
तेरा चेहरा हूँ सँवरने दे मुझे

देख बे-मंज़री-ए-मंज़र को
कम से कम रंग तो भरने दे मुझे

रू-ब-रू मुझ को कभी ला मेरे
अपने ही आप से डरने दे मुझे

शुक्र कीजे कि शिकायत कीजे
वो न जीने दे न मरने दे मुझे

राह मत रोक कि मुश्किल है बहुत
बहता पानी हूँ गुज़रने दे मुझे

एक ऐसा भी शजर हो जो 'अमीर'
अपने साए में ठहरने दे मुझे