इन की ठोकर में शरारत होगी
फ़ित्ने उट्ठेंगे क़यामत होगी
कज-अदाई की तलाफ़ी क्यूँ हो
मेहरबानी तो मुसीबत होगी
मेरी फ़ुर्सत का ठिकाना क्या है
आप को भी कभी फ़ुर्सत होगी
वो न होंगे तो न होगा कुछ भी
देखने के लिए जन्नत होगी
क्या ख़बर थी दम-ए-रुख़्सत ये 'अज़ीज़'
शुक्र के बदले शिकायत होगी
ग़ज़ल
इन की ठोकर में शरारत होगी
अज़ीज़ हैदराबादी