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इन की ठोकर में शरारत होगी | शाही शायरी
inki Thokar mein shararat hogi

ग़ज़ल

इन की ठोकर में शरारत होगी

अज़ीज़ हैदराबादी

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इन की ठोकर में शरारत होगी
फ़ित्ने उट्ठेंगे क़यामत होगी

कज-अदाई की तलाफ़ी क्यूँ हो
मेहरबानी तो मुसीबत होगी

मेरी फ़ुर्सत का ठिकाना क्या है
आप को भी कभी फ़ुर्सत होगी

वो न होंगे तो न होगा कुछ भी
देखने के लिए जन्नत होगी

क्या ख़बर थी दम-ए-रुख़्सत ये 'अज़ीज़'
शुक्र के बदले शिकायत होगी