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इलाज-ए-हसरत-ए-दिल-गीर कर रहा हूँ मैं | शाही शायरी
ilaj-e-hasrat-e-dil-gir kar raha hun main

ग़ज़ल

इलाज-ए-हसरत-ए-दिल-गीर कर रहा हूँ मैं

अहसन लखनवी

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इलाज-ए-हसरत-ए-दिल-गीर कर रहा हूँ मैं
मुक़द्दरात की ता'मीर कर रहा हूँ मैं

तसव्वुरात की किर्चें समेट कर एक इक
बुरीदा ख़्वाब की तफ़्सीर कर रहा हूँ मैं

कि गूँध कर मह-ए-ताबाँ की ज़ौ-फ़िशाँ किरनें
इलाज-ए-ज़ुल्मत-ए-बे-पीर कर रहा हूँ मैं

जगा के फ़हम की लौ ज़ेहन के दरीचों में
नए निज़ाम को तहरीर कर रहा हूँ मैं

ये अज़्म है कि बदल दूँ मैं बख़्त का चेहरा
ब-सद ख़ुलूस ये तदबीर कर रहा हूँ मैं

हसीन रात किरन चाँद की हिना की महक
मिला के अब तेरी तस्वीर कर रहा हूँ मैं