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इलाही दिल को मेरे कुछ ख़ुशी होती तो अच्छा था | शाही शायरी
ilahi dil ko mere kuchh KHushi hoti to achchha tha

ग़ज़ल

इलाही दिल को मेरे कुछ ख़ुशी होती तो अच्छा था

मीर यासीन अली ख़ाँ

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इलाही दिल को मेरे कुछ ख़ुशी होती तो अच्छा था
लबों पर आह के बदले हँसी होती तो अच्छा था

सियाह दिल हैं अँधेरों में तुझे हम याद करते हैं
ख़ुदाया उन घरों में रौशनी होती तो अच्छा था

वो आए हैं ज़रा उन से हम अपना हाल कह लेते
हमारे दर्द-ए-दिल में कुछ कमी होती तो अच्छा था