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इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए | शाही शायरी
ek shajar aisa mohabbat ka lagaya jae

ग़ज़ल

इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए

ज़फर ज़ैदी

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इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए
जिस का हम-साए के आँगन में भी साया जाए

ये भी मुमकिन है बता दे वो कोई काम की बात
इक नुजूमी को चलो हाथ दिखाया जाए

देखना ये है कि कौन आता है साया बन कर
धूप में बैठ के लोगों को बुलाया जाए

या मिरी ज़ीस्त के आसार नुमायाँ कर दे
या बता दे कि तुझे कैसे भुलाया जाए

उस के एहसान से इंकार नहीं है लेकिन
नक़्श पानी पे 'ज़फ़र' कैसे बनाया जाए