इक लड़का था इक लड़की थी
आगे अल्लाह की मर्ज़ी थी
पहला फूल खिला था दिल में
लहू में ख़ुश्बू दौड़ गई थी
पहला साँस लिया था सुख का
पहली बार हवा इक चली थी
अब क्या जानें लेकिन पहले
चाँद पे इक बुढ़िया रहती थी
ये बाज़ार कहाँ था पहले
यहाँ तो पहले एक गली थी
पानी में बिजली का घर था
पत्थर में चिंगारी छुपी थी
ग़ज़ल
इक लड़का था इक लड़की थी
मोहम्मद अल्वी