EN اردو
इक हसीन ला-जवाब देखा है | शाही शायरी
ek hasin la-jawab dekha hai

ग़ज़ल

इक हसीन ला-जवाब देखा है

क़मर जलालाबादी

;

इक हसीन ला-जवाब देखा है
रात को आफ़्ताब देखा है

गोरा मुखड़ा ये सुर्ख़ गाल तिरे
चाँदनी में गुलाब देखा है

नर्गिसी आँख ज़ुल्फ़ शब-रंगी
बादलों का जवाब देखा है

झूमते जाम सा छलकता बदन
एक जाम-ए-शराब देखा है

हम तो मिल कर न मिल सके तुम को
तुम को देखा कि ख़्वाब देखा है