इक अन-जानी दुनिया ढूँड रहा हूँ
तारीकी में रस्ता ढूँढ रहा हूँ
तन्हा तन्हा घूम रहा हूँ गुम-सुम
गली गली कोई ख़ुद सा ढूँढ रहा हूँ
पत्ता पत्ता नाच रही है ज़र्दी
गुलशन गुलशन सब्ज़ा ढूँड रहा हूँ
रंगों के इस घोर-घने जंगल में
खोया हुआ इक चेहरा ढूँड रहा हूँ
बैठ के तन्हाई में आप अपने से
कोई पुराना रिश्ता ढूँढ रहा हूँ

ग़ज़ल
इक अन-जानी दुनिया ढूँड रहा हूँ
कुमार पाशी