EN اردو
इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई | शाही शायरी
ibn-e-maryam hua kare koi

ग़ज़ल

इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई

मिर्ज़ा ग़ालिब

;

इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई

Let anyone the son of mary be
How will I know till I find remedy

शरअ' ओ आईन पर मदार सही
ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई

When sanctioned by laws of divinity
For such a killer what can one decree?

चाल जैसे कड़ी कमान का तीर
दिल में ऐसे के जा करे कोई

Like an arrow drawn her graceful gait
In this heart embedded directly

बात पर वाँ ज़बान कटती है
वो कहें और सुना करे कोई

My every word she contradicts alas
If I could, but, speak and she agree

बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई

Lord I pray that no one comprehends
All that I rant and rave in ecstasy

न सुनो गर बुरा कहे कोई
न कहो गर बुरा करे कोई

If someone speaks ill pay no heed
Stay silent if behave they sinfully

रोक लो गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई

Stop them if they step misguidedly
Forgive them if they act mistakenly

कौन है जो नहीं है हाजत-मंद
किस की हाजत रवा करे कोई

Is there anyone who's not in need?
Then to whom does one do charity?

क्या किया ख़िज़्र ने सिकंदर से
अब किसे रहनुमा करे कोई

What did Khizr for Alexander do?
For guidance then who shall I go and see?

जब तवक़्क़ो ही उठ गई 'ग़ालिब'
क्यूँ किसी का गिला करे कोई

When no expectations remain
why complain of adversity?