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हुस्न पर दस्तरस की बात न कर | शाही शायरी
husn par dastaras ki baat na kar

ग़ज़ल

हुस्न पर दस्तरस की बात न कर

अर्श मलसियानी

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हुस्न पर दस्तरस की बात न कर
ये हवस है हवस की बात न कर

पूछ अगले बरस में क्या होगा
मुझ से पिछले बरस की बात न कर

ये बता हाल क्या है लाखों का
मुझ से दो चार दस की बात न कर

ये बता क़ाफ़िले पे क्या गुज़री
महज़ बाँग-ए-जरस की बात न कर

इश्क़-ए-जान आफ़रीं का हाल सुना
हुस्न-ए-ईसा नफ़स की बात न कर

ये बता 'अर्श' सोज़ है कितना
साज़ पर दस्तरस की बात न कर