EN اردو
हुस्न जितना ही सादा होता है | शाही शायरी
husn jitna hi sada hota hai

ग़ज़ल

हुस्न जितना ही सादा होता है

नुशूर वाहिदी

;

हुस्न जितना ही सादा होता है
गेसू-ए-ना-कुशादा होता है

जब कभी शग़्ल-ए-बादा होता है
एक आलम ज़ियादा होता है

जब वो आते हैं ज़िंदगी के क़रीब
दिल भी दूर-ऊफ़्तादा होता है

क्या ख़बर ये फ़शुर्दा-ए-अंगूर
कितना ख़ूँ हो के बादा होता है

उन का जल्वा न दूर है न क़रीब
नूर है कम ज़ियादा होता है

हुस्न होता है सादा-ओ-रंगीं
इश्क़ रंगीन-ओ-सादा होता है

गुनगुनाता हूँ फ़ुर्सतों में 'नुशूर'
शेर तन्हाई-ज़ादा होता है