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हुस्न है मग़रूर दिल सौदाई है | शाही शायरी
husn hai maghrur dil saudai hai

ग़ज़ल

हुस्न है मग़रूर दिल सौदाई है

मन्नान बिजनोरी

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हुस्न है मग़रूर दिल सौदाई है
इश्क़ और नफ़रत में हाथा-पाई है

धड़कनों में कर दिया पैदा फ़साद
हर अदा में तेरी इक बलवाई है

हम ने ख़ुद देखी है दस्त-ए-ग़ैर में
तेरी तो तस्वीर भी हरजाई है

वज्द आँखों में है बासी नींद का
वस्ल की जब से करम-फ़रमाई है

तुम को देखे बिन गुज़रना छेड़ था
दिल पे मत लो दाग़-ए-दिल दुख-दाई है

दिल-लगी है इब्तिदा-ए-दिलबरी
चाहतों में छेड़-छाड़ अच्छाई है

कितनी शर्मीली है 'मन्नान' उस की याद
दर्द के पर्दे में छप कर आई है