हुजूम देख के रस्ता नहीं बदलते हम
किसी के डर से तक़ाज़ा नहीं बदलते हम
हज़ार ज़ेर-ए-क़दम रास्ता हो ख़ारों का
जो चल पड़ें तो इरादा नहीं बदलते हम
इसी लिए तो नहीं मो'तबर ज़माने में
कि रंग-ए-सूरत-ए-दुनिया नहीं बदलते हम
हवा को देख के 'जालिब' मिसाल-ए-हम-अस्राँ
बजा ये ज़ोम हमारा नहीं बदलते हम
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ग़ज़ल
हुजूम देख के रस्ता नहीं बदलते हम
हबीब जालिब