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हुए हो किस लिए बरहम अज़ीज़म | शाही शायरी
hue ho kis liye barham azizam

ग़ज़ल

हुए हो किस लिए बरहम अज़ीज़म

तसनीम आबिदी

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हुए हो किस लिए बरहम अज़ीज़म
सर-ए-तस्लीम है लो ख़म अज़ीज़म

चराग़-ए-हुजरा-ए-जाँ की ख़बर लो
लबों पर आ गया है दम अज़ीज़म

नहीं भरता ये ज़ख़्म-ए-हिज्र अपना
लगाओ वस्ल का मरहम अज़ीज़म

तुम आते हो तो दम आता है गोया
तुम आते हो मगर कम कम अज़ीज़म

नबूद-ओ-बूद की इस कश्मकश में
अजब है हालत-ए-पैहम अज़ीज़म

तू ही तू है मैं क़तरा तू समुंदर
ये मन आनम कि मन दानम अज़ीज़म

हमी हैं कुश्तगान-ए-वक़्त-ए-रफ़्ता
अज़ीज़-अज़-जान हैं ये ग़म अज़ीज़म

वजूद-ए-रफ़्ता-ए-रफ़्तार-ए-मंज़िल
सरा-ए-हस्ती-ए-आलिम अज़ीज़म

ख़ुमार-ए-तिश्ना-कामी चश्म-ए-गोयम
शुनीदन अक्स-ए-जाम-ए-जम अज़ीज़म