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हुआ हूँ दिल सेती बंदा पिया की मेहरबानी का | शाही शायरी
hua hun dil seti banda piya ki mehrbani ka

ग़ज़ल

हुआ हूँ दिल सेती बंदा पिया की मेहरबानी का

आबरू शाह मुबारक

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हुआ हूँ दिल सेती बंदा पिया की मेहरबानी का
फ़िदा करता हूँ हर दम जी कूँ अपने यार-ए-जानी का

दिए में जूँ बती हो यूँ दहकती है ज़बाँ मुख में
करूँ जिस रात के अंदर बयाँ सोज़-ए-निहानी का

उंझो अँखियाँ के रोग़न हैं हमारे शोला-ए-दिल कूँ
बुझाना इश्क़ की आतिश नहीं है काम पानी का

असर करता है नाला 'आबरू' का संग के दिल में
हुनर सीखा है शायद कोहकन सूँ तेशा-रानी का