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हो काश वफ़ा वादा-ए-फ़र्दा-ए-क़यामत | शाही शायरी
ho kash wafa wada-e-farda-e-qayamat

ग़ज़ल

हो काश वफ़ा वादा-ए-फ़र्दा-ए-क़यामत

फ़ानी बदायुनी

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हो काश वफ़ा वादा-ए-फ़र्दा-ए-क़यामत
आएगी मगर देखिए कब आए क़यामत

सुनता हूँ कि हंगामा-ए-दीदार भी होगा
एक और क़यामत है ये बाला-ए-क़यामत

हम दिल को इन अल्फ़ाज़ से करते हैं मुख़ातब
ऐ जल्वा-गह-ए-अंजुमन-आरा-ए-क़यामत

अल्लाह बचाए ग़म-ए-फ़ुर्क़त वो बला है
मुनकिर की निगाहों पे भी छा जाए क़यामत

'फ़ानी' ये मगर राह-ए-मोहब्बत की ज़मीं है
हर ज़र्रे में है वुस्अत-ए-सहरा-ए-क़यामत