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हीला है हवाला है | शाही शायरी
hila hai hawala hai

ग़ज़ल

हीला है हवाला है

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

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हीला है हवाला है
ये इश्क़ निराला है

शिकवा भी शिकायत भी
सब प्यार की माला है

सोचो तो फ़क़त सूरज
समझो तो उजाला है

है याद वही अज़बर
जो भूलने वाला है

बिछड़े हुए साथी हैं
और पाँव में छाला है

हालात भी पस-मुर्दा
होंटों पे भी ताला है

आईना तन-ए-तन्हा
सच बोलने वाला है

यारों की मोहब्बत ने
'अशहद' को सँभाला है