हया-ए-रूह गुल-एज़ाज़ भी है
शुऊर-ए-ज़िंदगी का राज़ भी है
मोहब्बत राज़-अंदर-राज़ भी है
कहीं ये सोज़ भी है साज़ भी है
उसे कैसे न दिल दे दूँ कि जिस में
वफ़ा भी हुस्न भी अंदाज़ भी है
रह-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा में ज़िंदगानी
तराना भी है सोज़-ओ-साज़ भी है
मोहब्बत में न देख अंजाम ऐ दिल
ये इक बे-इंतिहा आग़ाज़ भी है
तबस्सुम ही नहीं ग़ारत-गर-ए-दिल
बला-ए-जाँ ख़िराम-ए-नाज़ भी है
दिल-ए-'जौहर' है इक आशिक़ की दुनिया
कि ये पामाल-ए-हुस्न-ओ-नाज़ भी है

ग़ज़ल
हया-ए-रूह गुल-एज़ाज़ भी है
जौहर ज़ाहिरी