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हवा की चितवन जैसे नैन | शाही शायरी
hawa ki chitwan jaise nain

ग़ज़ल

हवा की चितवन जैसे नैन

सलाहुद्दीन महमूद

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हवा की चितवन जैसे नैन
होंटों पे शबनम से बैन

लांबा जिस्म समुंदर जैसा
सूरज जिस के भीतर चैन

लोहू की ख़ुशबू में जागे
एक परिंदे वाली रैन

जल इक बहता जल के अंदर
होंटों के ताइर बेचैन

हवा परिंदे के क़द जितनी
शजर सियाह हरियाले ऐन

नैन कटोरों जैसी शबनम
दरिया उजियाले बसे नैन

सम्तों के महताब बदन में
लोहू लोहू का ज़ौजैन

दो ग़ुंचे दो जिस्म हमारे
एक शजर का मीठा बैन