हवा के साथ उड़ जाएगा पानी
यहीं फिर लौट कर आएगा पानी
तअ'ल्लुक़ इक मुसलसल सिलसिला है
जहाँ ठहरे गा मर जाएगा पानी
मुसलसल बारिशें होती रहीं तो
हमारे घर भी आ जाएगा पानी
हमारी प्यास बढ़ जाएगी जिस दिन
उसी दिन आग बन जाएगा पानी
जुनूँ की फ़स्ल गर उगती रही तो
ज़मीं पर आग बरसाएगा पानी

ग़ज़ल
हवा के साथ उड़ जाएगा पानी
अनवर ख़ान