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हर सच बात में हम दोनों हैं | शाही शायरी
har sach baat mein hum donon hain

ग़ज़ल

हर सच बात में हम दोनों हैं

नईम जर्रार अहमद

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हर सच बात में हम दोनों हैं
इल्ज़ामात में हम दोनों हैं

क़र्या क़र्या बस्ती बस्ती
मौज़ूआ'त में हम दोनों हैं

सस्सी पुन्नूँ लैला मजनूँ
क़िस्सा-जात में हम दोनों हैं

ख़बरों का उनवान हो जो भी
तफ़सीलात में हम दोनों हैं

सारे मस्लक एक हुए हैं
सब की घात में हम दोनों हैं

जिन हालात से डरते थे हम
उन हालात में हम दोनों हैं