EN اردو
हर नफ़स दीदा-ए-दिल में तिरी यादों का हुजूम | शाही शायरी
har nafas dida-e-dil mein teri yaadon ka hujum

ग़ज़ल

हर नफ़स दीदा-ए-दिल में तिरी यादों का हुजूम

शकूर जावेद

;

हर नफ़स दीदा-ए-दिल में तिरी यादों का हुजूम
हर घड़ी मुझ पे क़यामत का गुज़र ना-मालूम

आँख से दिल में उतरती हुई यादों की बरात
दश्त-ए-तन्हाई में टूटे हुए तारों का हुजूम

इस क़दर पास कि जैसे मिरे दिल की आवाज़
इस क़दर दूर कि जैसे हो सदा-ए-मौहूम

ऐ दिल-ए-ख़ाक-बसर तेरी तबाही तस्लीम
हाँ दिल-ए-सादा-नज़र तेरी ख़ताएँ मालूम

हर घड़ी याद में गुज़री शब-ए-मातम की तरह
फिर भी ऐ इश्क़-ए-सियह-पोश उन्हें क्या मालूम

कल का दिन अपनी बहारों को लिए ख़त्म हुआ
कल की हर बात हुई नक़्श-ए-वफ़ा-ए-मौहूम