हर जानिब वीरानी भी हो सकती है
सुब्ह की रंगत धानी भी हो सकती है
जब कश्ती डाली थी किस ने सोचा था
दरिया में तुग़्यानी भी हो सकती है
नए सफ़र के नए अज़ाब और नए गुलाब
सूरत-ए-हाल पुरानी भी हो सकती है
हर-पल जो दिल को दहलाए रखती है
कुछ भी नहीं हैरानी भी हो सकती है
सफ़र इरादा कर तो लिया पर रस्तों में
रात कोई तूफ़ानी भी हो सकती है
उस को मेरे नाम से निस्बत है लेकिन
बात ये आनी-जानी भी हो सकती है
ग़ज़ल
हर जानिब वीरानी भी हो सकती है
नोशी गिलानी