हर चीज़ है महव-ए-ख़ुद-नुमाई
हर ज़र्रा शाहीद-ए-किब्रियाई
बे-ज़ौक़-ए-नुमूद ज़िंदगी मौत
तामीर-ए-ख़ुदी में है ख़ुदाई
राई ज़ोर-ए-ख़ुदी से पर्बत
पर्बत ज़ोफ़-ए-ख़ुदी से राई
तारे आवारा ओ कम-आमेज़
तक़दीर-ए-वजूद है जुदाई
ये पिछले पहर का ज़र्द-रू चाँद
बे-राज़ ओ नियाज़-ए-आश्नाई
तेरी क़िंदील है तिरा दिल
तू आप है अपनी रौशनाई
इक तू है कि हक़ है इस जहाँ में
बाक़ी है नुमूद-ए-सीमयाई
हैं उक़्दा-कुशा ये ख़ार-ए-सहरा
कम कर गिला-ए-बरहना-पाई
ग़ज़ल
हर चीज़ है महव-ए-ख़ुद-नुमाई
अल्लामा इक़बाल