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हर बार हुआ है जो वही तो नहीं होगा | शाही शायरी
har bar hua hai jo wahi to nahin hoga

ग़ज़ल

हर बार हुआ है जो वही तो नहीं होगा

आलोक श्रीवास्तव

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हर बार हुआ है जो वही तो नहीं होगा
डर जिस का सताता है अभी तो नहीं होगा

दुनिया को चलो परखें नए दोस्त बनाएँ
हर शख़्स ज़माने में वही तो नहीं होगा

वो शख़्स बड़ा है तो ग़लत हो नहीं सकता
दुनिया को भरोसा ये अभी तो नहीं होगा

है उस का इशारा भी समझने की ज़रूरत
होगा तो कभी होगा अभी तो नहीं होगा

दो-चार गड़े मुर्दे उखाड़ेंगे किसी रोज़
हर बार नया झगड़ा कभी तो नहीं होगा

कुछ और भी हो सकता है तक़रीर का मतलब
जो आप ने समझा है वही तो नहीं होगा

हर बार ज़माने का सितम होगा मुझी पर
हाँ मैं ही बदल जाऊँ कभी तो नहीं होगा