हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह
चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह
तुम्हारा नाम है या आसमान नज़रों में
सिमट गया मेरी गुम-गश्ता ज़िंदगी की तरह
कोहर है धुँद धुआँ है वो जिस की शक्ल नहीं
कि दिल ये रूह से लिपटा है अजनबी की तरह
तुम्हारे हाथों की सरहद को पा के ठहरी हुईं
ख़लाएँ ज़िंदा रगों में हैं सनसनी की तरह
ग़ज़ल
हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह
मीना कुमारी