हमें तो एक ही चेहरा दिखाई देता है
जिसे भी देखिए अपना दिखाई देता है
ये किस ने ऐसे उजालों की आरज़ू की थी
हर एक घर यहाँ जलता दिखाई देता है
नई सहर ने उजाले जनम दिए हैं मगर
ये ख़्वाब फिर भी अधूरा दिखाई देता है
यहाँ जो बाँटता फिरता है तिश्नगी का भरम
मुझे तो ख़ुद भी वो प्यासा दिखाई देता है
तलाश है मुझे उस मेहरबाँ की मुद्दत से
जो महफ़िलों में भी तन्हा दिखाई देता है
धुआँ है जलते हुए घर सुलगते नज़्ज़ारे
मैं क्या बताऊँ कि क्या क्या दिखाई देता है
इसे भी कीजिए अपने गिरोह में शामिल
ये शख़्स अपने ही जैसा दिखाई देता है
ये कैसी आग में हम लोग जल रहे हैं 'रईस'
हर इक वजूद पिघलता दिखाई देता है
ग़ज़ल
हमें तो एक ही चेहरा दिखाई देता है
रईस अख़तर