हमारी वो वफ़ादारी कि तौबा
और उस की वो दिल-आज़ारी कि तौबा
मुझे अब मौत बेहतर ज़िंदगी से
वो की तुम ने सितमगारी कि तौबा
तिरी ज़ुल्फ़ों ने सुम्बुल को चमन में
पकड़ कर मार वो मारी कि तौबा
न ख़ुद सोया दिया उन को न सोने
वो शब भर मैं ने की ज़ारी कि तौबा
'हक़ीर' इस दिल के हाथों मैं ने अब के
उठाई ऐसी बीमारी कि तौबा
ग़ज़ल
हमारी वो वफ़ादारी कि तौबा
हक़ीर