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हमारे सानेहे हम को सुना रहे क्यूँ हो | शाही शायरी
hamare sanehe hum ko suna rahe kyun ho

ग़ज़ल

हमारे सानेहे हम को सुना रहे क्यूँ हो

सीमा ग़ज़ल

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हमारे सानिहे हम को सुना रहे क्यूँ हो
तुम इतना बोझ भी दिल पर उठा रहे क्यूँ हो

तुम्हारी छाँव में बैठे उठा दिया तुम ने
फिर अब पुकार के वापस बुला रहे क्यूँ हो

जो बात सब से छुपाई थी उम्र भर हम ने
वो बात सारे जहाँ को बता रहे क्यूँ हो

जब एक पल भी गुज़रना मुहाल होता है
फिर इतनी देर भी हम से जुदा रहे क्यूँ हो

तुम्हारी आँख में आँसू दिखाई देते हैं
तुम इतनी ज़ोर से हँस के छुपा रहे क्यूँ हो

जो कर लिया है जुदाई का फ़ैसला तुम ने
तो ये फ़ुज़ूल बहाने बना रहे क्यूँ हो

न जाने किस लिए आँखों में आ गए आँसू
ज़रा सी बात को इतना बढ़ा रहे क्यूँ हो