हमारे हाल की जा कर उन्हें ख़बर तो करें
वो क्यूँ न आएँगे तदबीर चारा-गर तो करें
करेंगे अर्ज़ भी कुछ चैन ले ज़रा ऐ दिल
वो अंजुमन में हमारी तरफ़ नज़र तो करें
बहुत से तिश्ना-ए-दीदार रोज़ जा बैठें
मगर कभी वो सर-ए-रहगुज़र गुज़र तो करें
जला दे शम्अ की मानिंद तू मुझे ऐ इश्क़
कि और लोग ज़रा तुझ से अल-हज़र तो करें
हम उन से ज़िक्र नहीं करते बज़्म-ए-आदा का
कि ज़िक्र वो है ये मंज़ूर हो जो शर तो करें
ग़ज़ल
हमारे हाल की जा कर उन्हें ख़बर तो करें
सूरज नारायण