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हमारे दिल में अब तल्ख़ी नहीं है | शाही शायरी
hamare dil mein ab talKHi nahin hai

ग़ज़ल

हमारे दिल में अब तल्ख़ी नहीं है

जावेद अख़्तर

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हमारे दिल में अब तल्ख़ी नहीं है
मगर वो बात पहले सी नहीं है

मुझे मायूस भी करती नहीं है
यही आदत तिरी अच्छी नहीं है

बहुत से फ़ाएदे हैं मस्लहत में
मगर दिल की तो ये मर्ज़ी नहीं है

हर इक की दास्ताँ सुनते हैं जैसे
कभी हम ने मोहब्बत की नहीं है

है इक दरवाज़े बिन दीवार-ए-दुनिया
मफ़र ग़म से यहाँ कोई नहीं है