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हमारा सजन ख़ुश-नज़र बाज़ है | शाही शायरी
hamara sajan KHush-nazar baz hai

ग़ज़ल

हमारा सजन ख़ुश-नज़र बाज़ है

क़ुली क़ुतुब शाह

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हमारा सजन ख़ुश-नज़र बाज़ है
तो उस दिल में सब इश्क़ का राज़ है

गले हाथ दे खेले नारियाँ सूँ खेल
जिसूँ खेले पीव ऊ सर-अफ़राज़ है

अधर रंग भरे सुहते मानिक नमन
कि याक़ूत रंग उन थे वरसाज़ है

सक्याँ साईं छंद सूँ पँवाए अपस
तुमन हुस्न के तीं सो ऊ नाज़ है

सँवारे हैं मज्लिस पिया रूप सूँ
मदन मुतरिब उस में ख़ुश-आवाज़ है

सँवाँरया है मन-मोहनियाँ अपने तीं
पिया कूँ ऐनू सूँ तुरुक ताज़ है

नबी सदक़े 'क़ुतबा' पे आनंद-दार
अली की मया थे सदा बाज़ है